Sunday, March 4, 2012

आप सभी दोषी हो

खड़े होकर लहरों के किनारे
पलटती कश्ती को देख मुँह मोड़ लो
तो आप भी दोषी हो
किसी चौराहे पर होती हत्या
लुटी आबरू को देख आगे बढ़ जाओ
तो आप भी दोषी हो
आइंस्टीन का विज्ञानं अशोक का इतिहास
पढने के बाद भी गलत देख ना बोलो
तो आप भी दोषी हो
दोषी थी कुरुसभा द्रौपदी चीरहरण के लिए
वैसे ही लुटते हुए इस देश के लिए
अपनी गलती दूसरों के सर मढने के लिए
आप सभी दोषी हो

No comments:

Post a Comment