Friday, April 10, 2015

बिखरी झूठन

एक पुतला था
हांड मांस का
चमकती थी हड्डियां
शरीर में ऐसे
प्रदर्शनी में रखी हो
वो जैसे !

गोद में थी एक गठरी जैसी
सजीव पर अर्धचेतन
कुलबुला रही थी वो
भूखी हो वर्षों से जैसे !

लाचार ताक रहा था वो
उस झूठन पर
जो बिखरी पड़ी थी
हर टेबल पर  !

सोचा उसने
पल सकता था परिवार मेरा
उस झूठन पर
जो छोड़ी थी लोगों ने
हर टेबल पर !

एहसास नही है उनको
भूख के दर्द का
पहचान नही है उनको
एक कृषक के परिश्रम का !

देता है प्यार अपने बेटे जैसा
हर किसान अपनी फसल को
ठुकराया जाता है वही भोजन
परोसा जाता है जब कुछ नासमझों का  …

भय

जकड़ लेता है कदम मेरे
संशय को देता है ये जन्म
विस्मृत करता है अपनी पहचान
ये डर !

जो इस भय पर विजय पाता है
वह कर्मयोगी अर्जुन कहलाता है
वही बन गांधी रास्ता दिखलाता है
वही बन भगतसिंह बधिरों को सुनाता है !

इस भय को भगाना होगा
मनुष्य की आत्म चेतना को जगाना होगा
स्वयं का स्वयं से परिचय कराना होगा
ज्ञान की रश्मि से प्रकाश फैलाना होगा !

स्व से कर साक्षात्कार
रखेगा मनुष्य नव निर्माण का आधार
एक ऐसे विश्व की सृष्टि होगी
जहाँ डर की कोई जगह ना होगी
छायी हर चेहरे पर एक हंसी होगी ! 

Wednesday, July 23, 2014

बाधा है ये

भावनाओं का ज्वार है ये
कमजोरी की पहचान है ये

आगे बढ़ने की राह में
कांटा है ये
लक्ष्य भेदन की दृष्टि में
बाधा है ये

कृष्णा ने भी कहा है
आत्मीयता का जाल है ये
स्व का बंधन है ये

लक्ष्य को पाने के लिए
स्मृतियों को जीतना होगा
सवप्नों को साकार करने के लिए
स्वयंं पर काबू पाना होगा ! 

Monday, June 9, 2014

हिम्मत अभी शेष है

जिंदगी से लड़कर
आगे बढ़ने की
हिम्मत अभी शेष है !
काँटों पर चलकर
लक्ष्य को पाने की
दीवानगी अभी शेष है !
बही है अभी तो
शोणित की चंद बूंदें
लहू का भंडार अभी शेष है !
जंग - ए- मैदान में
गिरे हैं कुछ योद्धा
शत्रुओं के धड़ पर
शीश अभी शेष है !
इन शीशों को झुकना होगा
इन शीशो का गिरना होगा
इस देश के लालों की
श्वांसे अभी शेष है !

Sunday, May 11, 2014

अधूरापन

शायद जिंदगी के कुछ पन्ने
अधूरे रहने के लिए होते हैं !
शायद कुछ कहानियां
अधूरी ही अच्छी होती हैं !
शायद रास्ते में खो जाना
कुछ नदियों की तक़दीर होती है !
शायद भीड़ मे तन्हा रहना
कुछ लोगों की शख्शियत होती है !
ऐसी नदियों से भी
प्यास बुझती है सब की !
ऐसी ही कहानियों में
दिलचस्पी होती है सब की !
ऐसे अधूरे पन्नों पर ही
नयी इबारत लिखी जाती है !
ऐसी तन्हाई में ही
खुद की परछाई नजर आती है !

Saturday, January 25, 2014

Rainbow

Everyone loves rainbow in the sky
Everyone wants rainbow in the life
Can you spot it everytime
How can you have it everytime

It comes over horizon
when nat nature have perfect synchronization 
It will appear in life
when you can equilibrize

Love of Family 
Fun with Friends
Efforts at Work
Good of Society
Relation with Nature
Care for Self
with the moments of Peace

Saturday, September 14, 2013

Reality prevails over fake dreams

Sometime I felt
you were there
Sometime I believed
you would be there
Sometime I thought
you were just behind me
Sometime I imagined
you were walking along with me

But finally I realized
you were never there
you never meant to be there
I was just walking alone
living with a false hope
immersed in a distant dream

Truth was scary initially
real life is soothing finally
:)  :)