गरजते बादल ने मुझे रोकना चाहा
चमकती बिजली ने मुझे डराना चाहा
बरसती बूंदों ने मुझे पिघलाना चाहा
गिरते ओलों ने मुझे तोडना चाहा
न मैं रुका न मैं डरा
न मैं पिघला न मैं टूटा
मैंने तो बस किसी के लिए जलना चाहा
जलन मेरी मिटाने के लिए उसने मुझे बुझाना चाहा
मैंने फिर से उसकी रोशनी के लिए जलना चाहा
उसके बाद सूखे के दौर ने मुझे रुलाना चाहा
रोते रोते मैंने फिर से उसे हँसाना चाहा