शायद उन्हें हमारी दोस्ती का एहसास था
शायद उन्हें हमारे होने का एहसास था
तभी तो कुछ दिनों में याद आ जाती थी
तभी तो कुछ दिनों में खैरियत की खबर दी जाती थी
शायद एहसास तो आज भी हैं उन्हें
शायद विस्मृति के क्षणों में याद आज भी हैं उन्हें
पर जिंदगी की पहेली में उलझ जाते हैं
शायद रोज चलते चलते थक जाते हैं
बस उम्मीद है
कभी ख़तम होगी ये कशमकश
पहेलियों में उलझने की
थक कर चूर होने की
तब उन्हें याद आयेगा
मुझे दोस्तों को अपनी खैरियत की खबर देनी थी !
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