है दिन चंद बाकी
हिम्मत ना हार साथी
कदम तू चंद चलेगा
सपनों का फल मिलेगा
खड़ा है मुश्किलों का पहाड़ सामने
हार का भय है अवरोध मार्ग में
त्याग इस भय को
हो निर्भय बढ़ पथ पर
कर दृष्टिपात बस मंजिल पर
उदारहण अनेक हैं इतिहास के गर्भ में
कहानियां अंकेक हैं लोगों के मन में
जब चंद कदमो की दूरी ने
किसी की किस्मत बदली है
No comments:
Post a Comment