Monday, April 9, 2012

मेरी नजर

नव वर्ष के आगमन पर
झूमते कदमो की थिरकन पर
चहकते चेहरो की रोशनी पर
फूटते पटाखों की रोशनी पर
मेरी नजर थी
कोने में दो मासूम चेहरों पर
कपड़ो से झांकती गरीबी पर
चेहरों पर छाई मायूसी पर
फिर भी इस उजाले की उत्सुकता पर
मेरी नजर पड़ी
पलटकर निगाहें जमाई अपनी बीयर पर
लगा थिरकने में भी डांस फ्लोर पर
भूल गया जो देखा था वहां पर
आते वक़्त गाड़ी में से उन चेहरो पर
फिर मेरी नजर पड़ी

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