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Saturday, February 18, 2012

एहसास

एक अश्रु की बूँद थी
उसके कपोलों पर
न दुःख का प्यार का
एहसास थी ये घृणा का
गलती क्या थी
कोई है नही उसका
रोज मिलने वाली झिडकी
एहसास थी सजा का
सामने से निकली
बच्चो से भरी बस
देखा उसने उधर
एहसास था वंचना का
टूट कर गिरी
एक प्लेट और
मालिक की लात
एहसास था भूख का लाचारी का