आंसुओं से अपनी किस्मत लिख दी है
जबसे तुमसे मुहब्बत कर ली है
ना दूर मैं जा सकता हूँ
ना इजहार-ए-इश्क कर सकता हूँ
कहती है तू इस दोस्ती के पाक दामन में
यह लफ्ज गवारा नहीं
कैसे समझायूं तुझे कि मेरी मुहब्बत में
छुपी है दोस्ती की गहराई कहीं
शायद ये वक़्त गुजर जायेगा
आने वाले कल में आज भूला बिसरा हो जायेगा
धूल जम जायेगी यादों की तस्वीरों पर
फिर भी इस की में दोस्त नजर आयेगा
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