आज की इस दुनिया में
स्वार्थ की इस दौड़ में
खोकर अपनी मासूमियत
जिंदगी उम्र से पहले बड़ी हो जाती है !
इस समय इस उम्र में
तेरी बचपन जैसी मासूमियत
बच्चों जैसी हरकतें वो खिलखिलाहट
मुझे लुभाती है!
इस लुभावने स्वप्न में
तेरी ये ख़ूबसूरत आँखें
हाथों को थामकर चलने के लिए
मुझे बुलाती हैं !
पर जिंदगी के इस जंगल में
तुम्हारी यही मासूमियत
यही अनजानापन यही सादगी
मुझे डराती है !
फिर भी इन तपती राहों में
मेरी ये बेजार जिंदगी
तेरे बचपन की छाँव चाहती है !