Friday, May 10, 2013

दोस्त की आशिकी



आंसुओं से अपनी किस्मत लिख दी है
जबसे तुमसे मुहब्बत कर ली है
ना दूर मैं जा सकता हूँ
ना इजहार-ए-इश्क कर सकता हूँ
कहती है तू इस दोस्ती के पाक दामन में
यह लफ्ज गवारा नहीं
कैसे समझायूं तुझे कि मेरी मुहब्बत में
छुपी है दोस्ती की गहराई कहीं
शायद ये वक़्त गुजर जायेगा
आने वाले कल में आज भूला बिसरा हो जायेगा
धूल जम जायेगी यादों की तस्वीरों पर
फिर भी इस की में दोस्त नजर आयेगा